Ground Report Chandni Chowk: Jp Will Hit A Four Or Pk Will Get A Chance – Amar Ujala Hindi News Live


Ground Report Chandni Chowk: JP will hit a four or PK will get a chance

दिल्ली की सबसे ऊंची इमारत से ऐसा दिखता है चांदनी चौक का इलाका
– फोटो : अमर उजाला

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चांदनी चौक की गलियों में सियासी चर्चा भी नए बनाम पुराने की आम है। चुनाव की बात आते ही निखिल रस्तोगी कहते हैं कि दोनों उम्मीदवार चांदनी चौक की गलियों से बखूबी वाकिफ हैं, जो भी चांदनी चौक को जानते हैं कि उन्हें पता है कि यहां के ट्रैफिक से निकल पाना बड़ी चुनौती है। दुकान से दो किमी दूर गाड़ी खड़ी करनी पड़ती है। भीड़ भरी गलियों से निकलना मुश्किल है। धक्का-मुक्की करते हुए आगे बढ़ना पड़ता है। कई बार इसमें कहासुनी भी हो जाती है, चूंकि दोनों उम्मीदवार चांदनी चौक से हैं, तो उन्हें यह सब पता है। जिसके पास भी इसका माकूल समाधान होगा, उसका पलड़ा भारी होगा।

दूसरी तरफ चांदनी चौक की कटरा अशफी कमेटी के महामंत्री अभिषेक गनेड़ीवाला बताते हैं कि दोनों उम्मीदवार व्यापारिक जगत से आते हैं। जेपी ने तीन बार चांदनी चौक का प्रतिनिधित्व किया है। वहीं, खंडेलवाल ने पहली बार चुनावी सियासत में कदम रखा है। पार्टियां बेशक अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों को चांदनी चौक और यहां के व्यापारियों की एक-एक चीज पता है। ऐसे में इस बार जीते कोई भी, हम व्यापारियों को उम्मीद है कि यह हमारी चिंता करेंगे और समस्या का माकूल हल भी निकलेगा। 

चांदनी चौक का मुद्दा 

इस सीट में सबसे अहम मुद्दा पार्किंग व जाम है। जाम की वजह से यहां रहने वाले बच्चों को स्कूल जाने के लिए लंबा रास्ता पैदल चलकर तय करना पड़ता है। लोगों का कहना है कि चांदनी चौक में उनके के लिए अधिक परेशानी तब होती है, जब यहां सामान की लोडिंग व अनलोडिंग होती है। इससे मिनटों का रास्ता घंटों में तब्दील हो जाता है। उधर, चांदनी चौक की मुख्य सड़क के पुर्ननिर्माण के बाद भी यहां की स्थिति में अधिक बदलाव नहीं है। यहां बेघरों का पुनर्वास और रेहड़ी-पटरी वालों से मुक्ति व वाहनों के प्रवेश पर रोक नहीं हो पाई है। उधर, चांदनी चौक, सदर बाजार, मटिया महल जैसे मुख्य बाजार भी हैं, जो व्यापारी वर्ग को अधिक प्रभावित करते हैं। इन बाजारों में काम करने आने वाले कर्मचारियों के लिए जाम और पार्किंग की समस्या अहम है।

गंगा-जमुनी संस्कृति को समेटे है चांदनी चौक

ऐतिहासिक मुगलकालीन चांदनी चौक के लोग गंगा-जमुनी तहजीब को सींचते हैं। यहां हिंदी व उर्दू की सुगंध महसूस की जा सकती है। यहां हर धर्म के लोग मिलकर रहते हैं। चांदनी चौक के 1.3 किमी सड़क मार्ग पर सभी धर्मों के धार्मिक स्थल हैं। इनमें लाल जैन मंदिर, गौरी शंकर मंदिर, गुरुद्वारा शीशगंज, सेंट्रल बैपटिस्ट चर्च और फतेहपुरी मस्जिद शामिल हैं। 

यहां पुरानी दिल्ली का सबसे व्यस्त बाजार है तो लालकिला भी है। शाहजहां ने अपनी नई राजधानी के पास यमुना के तट पर लालकिला बनवाया था। यह क्षेत्र पुरानी दिल्ली के मध्य में लालकिले के लाहौरी गेट से शुरू होकर फतेहपुरी मस्जिद तक फैला है। सबसे बड़ी जामा मस्जिद इसी क्षेत्र में स्थित है। मुस्लिमों के लिए आस्था का यह प्रमुख केंद्र है।

सीट का सियासी इतिहास, सात बार यहां के सांसद बने मंत्री

1957 के आम चुनाव में अस्तित्व में आई चांदनी चौक सीट पर अब तक हुए 16 चुनावों में कांग्रेस और भाजपा के बीच का मुकाबला कांटे का रहा है। भाजपा और उससे पहले जनसंघ व लोकदल ने भी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। यहां सबसे पहले वर्ष 1977 में सिकंदर बख्त केंद्र सरकार में मंत्री बने थे। उनके बाद वर्ष 1998 व 1999 में सांसद बने भाजपा के विजय गोयल को दोनों बार केंद्र सरकार में मंत्री पद मिला। 2004 व 2009 में सांसद बने कपिल सिब्बल भी दोनों बार मंत्री बनने में सफल रहे।

  • वर्ष 2014 व 2019 में सांसद बने भाजपा के डॉ. हर्षवर्धन भी केंद्र सरकार में मंत्री बने, लेकिन दूसरी बार उनका मंत्री पद पांच साल तक बरकरार नहीं रहा। इस क्षेत्र से सबसे अधिक बार कांग्रेस के जयप्रकाश अग्रवाल को ही हार का सामना करना पड़ा है। वे यहां से चार बार चुनाव हार चुके हैं। 

इस बार उम्मीदवार

  • कांग्रेस ने यहां से पूर्व सांसद रहे जेपी अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया है। वर्ष 1983 में पार्षद से राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले जयप्रकाश इस क्षेत्र से वर्ष 1984 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े थे। इसके अलावा उन्होंने वर्ष 1989, 1991, 1996, 1998, 1999 व 2019 में चुनाव लड़ा। वर्ष 1984, 1989 व 1996 में जीतने सफल रहे जबकि वर्ष 1991 में भाजपा के ताराचंद खंडेलवाल, 1998 व 1999 में भाजपा के विजय गोयल और वर्ष 2019 में भाजपा के डाॅ. हर्षवर्धन से हार गए थे। 
  • भाजपा ने प्रवीण खंडेलवाल को यहां से चुनावी मैदान में उतारा है। वह व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव हैं। उन्हें कारोबार और अर्थशास्त्र की अच्छी समझ है। व्यापारियों से जुड़े मुद्दों पर वह काफी मुखर रहते हैं। चांदनी चौक को व्यापारियों का गढ़ माना जाता है और यही वजह है कि भाजपा ने इस सीट पर खंडेलवाल पर दांव खेला है। वह लोकसभा चुनाव पहली बार लड़ रहे हैं। उन्होंने 2008 में चांदनी चौक विधानसभा से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। प्रदेश भाजपा में कोषाध्यक्ष भी रहे हैं। उन्होंने 2006 में सिलिंग कार्रवाई के खिलाफ बड़ा आंदोलन था।



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