![MPC: 'विकास को प्रभावित करती हैं उच्च ब्याज दरें', आरबीआई एमपीसी सदस्य वर्मा ने किया दरों में कटौती का समर्थन High-interest rates sacrifice growth: RBI monetary policy member Varma favoured rate cut](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2024/04/16/rbi-file-photo_24d971a5929da3d4739b859c2ed57586.jpeg?w=414&dpr=1.0)
![MPC: 'विकास को प्रभावित करती हैं उच्च ब्याज दरें', आरबीआई एमपीसी सदस्य वर्मा ने किया दरों में कटौती का समर्थन High-interest rates sacrifice growth: RBI monetary policy member Varma favoured rate cut](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2024/04/16/rbi-file-photo_24d971a5929da3d4739b859c2ed57586.jpeg?w=414&dpr=1.0)
आरबीआई (फाइल फोटो)
– फोटो : एएनआई (फाइल)
विस्तार
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति के सदस्य प्रोफेसर जयंत आर वर्मा ने रेपो दर में कटौती का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि उच्च ब्याज दरें आर्थिक विकास को प्रभावित करती हैं।
प्रोफेसर वर्मा आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के छह सदस्यों में से एक हैं। इस महीने की शुरुआत में हुई बैठक में उन्होंने रेपो दर में 25 बेसिक प्वाइंट्स (बीपी) को कम करने के पक्ष में वोट किया। यह देखते हुए कि 2024-25 में 2024-25 में आर्थिक विकास 2023-24 तुलना में आधा प्रतिशत से ज्यादा धीमा होने का अनुमान है, वर्मा ने कहा कि उच्च ब्याज दरों से आर्थिक वृद्धि प्रभावित होती है।
एमपीसी की बैठक के शुक्रवार को जारी मिनट्स के मुताबिक, वर्मा ने तर्क दिया कि मौद्रिक नीति को इस प्रभाव को कम करने की कोशिश करनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि मुद्रास्फीति बैंड के भीतर बनी रहे और लक्ष्य की ओर बढ़े। उन्होंने कहा, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद मुद्रास्फीति का परिदृश्य अनुकूल बना हुआ है। मैं आश्वस्त हूं कि 1 से 1.5 प्रतिशत की वास्तविक ब्याज दर मुद्रास्फीति को 4 फीसदी के लक्ष्य तक ले जाने के लिए पर्याप्त होगी। इसलिए 2 प्रतिशत की मौजूदा वास्तविक नीति दर (2024-25 के लिए अनुमानित मुद्रास्फीति के आधार) बहुत ज्यादा है।
उन्होंने कहा, मुद्रास्फीति एमपीसी के सदस्यों के लिए मुख्य चिंता बनी हुई है। इससे पहले कि यह आगे बढ़े, प्रमुख ब्याज दरों पर अपना रुख ढीला करें। आरबीआई की मौद्रिक नीति बैठक के ब्योरे के मुताबिक, खाद्य पदार्थों की कीमतों में दबाव के कारण देश में महंगाई में कमी करने की प्रक्रिया बाधित हो रही है और मुद्रास्फीति के 4 प्रतिशत के लक्ष्य तक अंतिम गिरावट के लिए चुनौतियां पेश आ रही हैं। आरबीआई आमतौर पर एक वित्तीय वर्ष में छह द्विमासिक बैठकें आयोजित करता है, जहां ब्याज दरों, महंगाई, मुद्रास्फीति दृष्टिकोण और विभिन्न आर्थिक संकेतकों पर विचार-विमर्श किया जाता है।