Mukherjee, Chidambaram Used To Pressurise Rbi To Paint Rosier Picture Of Growth: Subbarao – Amar Ujala Hindi News Live


Mukherjee, Chidambaram used to pressurise RBI to paint rosier picture of growth: Subbarao

भारतीय रिजर्व बैंक
– फोटो : एएनआई (फाइल)

विस्तार


प्रणब मुखर्जी और पी. चिदंबरम के नेतृत्व वाला वित्त मंत्रालय ब्याज दरों में नरमी लाने के लिए रिजर्व बैंक पर दबाव डालता था और आम जनमानस में सरकार के प्रति सकारात्मक भावनाओं को बनाए रखने के लिए वृद्धि की बेहतर तस्वीर पेश करने के लिए कहता था। यह दावा भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर दुव्वुरी सुब्बाराव ने अपनी किताब में किया है। सुब्बाराव ने अपनी हालिया किताब ‘जस्ट ए मर्सिनरी: नोट्स फ्रॉम माई लाइफ एंड करियर’ में यह भी लिखा है कि सरकार में केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता के महत्व को लेकर ‘समझ और संवेदनशीलता’ कम है।

उन्होंने पुस्तक में लिखा है, ‘सरकार और आरबीआई दोनों में रहने के कारण मैं कह सकता हूं कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता के महत्व को लेकर सरकार के अंदर कम समझ और संवेदनशीलता है। सुब्बाराव 5 सितंबर, 2008 को पांच साल के लिए आरबीआई के गवर्नर के रूप में कार्यभार संभालने से पहले वित्त सचिव (2007-08) थे। उनके आरबीआई गवर्नर का पद संभालने के कुछ दिन बाह ही 16 सितंबर को अमेरिका का लेहमैन ब्रदर्स दिवालिया हो गया था और यह 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी का कारण बना था। यह इतिहास की सबसे बड़ी कॉरपोरेट विफलता भी मानी जाती है।

दावा- मूल्यांकन के विपरीत विकास और महंगाई का अनुमान पेश करने को कहा गया

‘रिजर्व बैंक सरकार की चीयरलीडर?’ शीर्षक वाले एक अध्याय में सुब्बाराव ने बताया है कि सरकार का दबाव सिर्फ रिजर्व बैंक के ब्याज दर के रुख तक सीमित नहीं था। केंद्रीय बैंक पर इस बात के लिए भी दबाव बनाया गया कि वह मूल्यांकन के विपरीत विकास और मुद्रास्फीति के बेहतर अनुमान पेश करे। उन्होंने कहा, ‘मुझे एक ऐसा अवसर याद है जब प्रणब मुखर्जी वित्त मंत्री थे। वित्त सचिव अरविंद मायाराम और मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने अपने अनुमानों के साथ हमारे अनुमानों का विरोध किया, जो मुझे लगा कि बहुत ज्यादा था।

सुब्बाराव ने कहा कि जो बात उन्हें परेशान करती थी, वह यह थी कि चर्चा लगभग निर्बाध रूप से वस्तुनिष्ठ तर्कों से व्यक्तिपरक विचारों की ओर बढ़ गई। यहां तक सुझाव दिया गया था कि रिजर्व बैंक को उच्च विकास दर और कम मुद्रास्फीति दर का अनुमान लगाना चाहिए ताकि सरकार के पक्ष में सकारात्मक भावनाएं बनाने में मदद मिल सके।

उन्होंने कहा, “मायाराम ने एक बैठक में यहां तक कह दिया कि दुनिया में हर जगह, सरकारें और केंद्रीय बैंक आपस में सहयोग कर रहे हैं, यहां भारत में रिजर्व बैंक बहुत उद्दंड है।” सुब्बाराव ने कहा कि वे उनकी इस उम्मीद से हमेशा परेशान और नाराज रहे कि आरबीआई को सरकार के लिए चीयरलीडर के रूप में काम करना चाहिए।  आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि वह इस बात को लेकर सख्त थे कि रिजर्व बैंक अपने बेहतरीन पेशेवर फैसले में सिर्फ जनता के बीच सकरात्मक भावनाएं बनाने ना भटके।

सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच तनाव विकसित देशों में भी

उन्होंने कहा, ‘हमारे अनुमान हमारी नीतिगत रुख के अनुरूप होने चाहिए और वृद्धि व मुद्रास्फीति के अनुमानों के साथ छेड़छाड़ करने से रिजर्व बैंक की विश्वसनीयता कम होगी। सुब्बाराव ने यह भी कहा कि यह दिलचस्प है, यहां तक कि कुछ हद तक सुकून देने वाला है, कि सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच ये तनाव भारत या उभरती अर्थव्यवस्थाओं में ही नहीं है बल्कि अमीर देशों में भी ऐसा हेता है।

उन्होंने यह भी याद किया कि आरबीआई के नीतिगत रुख को लेकर चिदंबरम और मुखर्जी दोनों के साथ उनका टकराव हुआ था क्योंकि दोनों हमेशा नरम दरों पर जोर देते थे, हालांकि दोनों की शैली अलग थी। सुब्बाराव ने लिखा, “चिदंबरम आमतौर पर वकील की तरह अपने मामले में बहस करते थे, वहीं मुखर्जी प्रतिष्ठित और सर्वोत्कृष्ट राजनेता थे। वे अपना नजरिया जाहिर करने के बाद मामले में बहस करने का काम अपने अधिकारियों पर छोड़ देते थे।

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने याद किया कि अक्टूबर 2012 में चिदंबरम के गृह मंत्रालय से वित्त मंत्री के रूप में लौटने के तुरंत बाद, उन्होंने मुखर्जी शासन की राजकोषीय फिजूलखर्ची को उलटने के लिए ईमानदारी से काम करना शुरू कर दिया था, संभवतः वे ऐसा राजकोषीय सख्ती की भरपाई करने के लिए कर रहे थे।

उन्होंने कहा, “वह नरम मौद्रिक व्यवस्था चाहते थे और आरबीआई पर ब्याज दर को कम करने के लिए भारी दबाव डाल रहे थे। हालांकि इस मामले में मैं उनकी मांग पूरी नहीं कर सका।”  आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि उनकी बात नहीं मानने से चिदंबरम इतने नाराज हो गए कि उन्होंने रिजर्व बैंक के रुख को सार्वजनिक करते हुए कुछ असामान्य कदम उठाए। 

रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रास्फीति पर चिंता व्यक्त करने के करीब एक घंटे बाद नॉर्थ ब्लॉक के बाहर मीडिया से बातचीत में चिदंबरम ने कहा कि वृद्धि भी उतनी ही चिंता का विषय है जितनी कि मुद्रास्फीति। अगर सरकार को वृद्धि की चुनौती का सामना अकेले करना है तो हम अकेले ही चलेंगे। सुब्बाराव इस समय अमेरिका के येल जैक्सन स्कूल में सीनियर फेलो हैं।



Source link

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *