उत्तराखंड में जंगल की आग थम नहीं रही है। सोमवार को गढ़वाल से कुमाऊं तक 47 जगह जंगल धधके। अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा ने बताया, ग्रामीणों की मदद से आग बुझाई जा रही है। राज्य में जंगल में आग लगाने के मामले में 10 अन्य के खिलाफ नामजद और 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
राज्य में तापमान बढ़ते ही जंगल की आग की घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं। रविवार को प्रदेशभर के जंगलों में आग की मात्र आठ घटनाएं हुईं, जबकि सोमवार को वनाग्नि की घटनाएं बढ़कर 47 हो गईं। वन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, भूमि संरक्षण रामनगर वन प्रभाग में तीन और भूमि संरक्षण रानीखेत वन प्रभाग में वनाग्नि की दो घटनाएं हुई हैं।
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अल्मोड़ा वन प्रभाग के आरक्षित वन क्षेत्र में दो, सिविल सोयम वन प्रभाग में तीन, पिथौरागढ़ वन प्रभाग के आरक्षित वन क्षेत्र में पांच, चंपावत वन प्रभाग में दो, तराई पश्चिमी रामनगर वन प्रभाग में एक, रामनगर वन प्रभाग के आरक्षित वन क्षेत्र में एक, लैंसडौन भूमि संरक्षण वन प्रभाग में एक और कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग में वनाग्नि की एक घटना हुईं, जिससे 78 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
रामगढ़ से लगे गागर और महेशखान के जंगल में रविवार को लगी आग पर सोमवार सुबह एनडीआरएफ और वन विभाग की टीम ने काबू पाया। आग से वन संपदा को काफी नुकसान पहुंचा है।
वन क्षेत्राधिकारी विजय मेलकानी ने बताया कि जंगल में लगी आग को वनकर्मियों और एनडीआरएफ की मदद से बुझा लिया गया। लेकिन सवाल यही है कि आखिर इस आग पर कैसे काबू पाया जा सकता है।
जंगलों में आग लगाने के मामलों में अब तक 227 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इसमें 39 नामजद लोग शामिल हैं, जबकि 188 अज्ञात हैं। जिनकी पहचान कर कार्रवाई की जा रही है।
– निशांत वर्मा, अपर प्रमुख वन संरक्षक